Top Shiv chaisa Secrets
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पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
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प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
सहस कमल में हो shiv chalisa in hindi रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
Chanting of Shiva Chalisa is completed with the devotees so as to please and obtain the blessings of their beloved deity – Lord Shiva.